इस गुप्त नवरात्र पर रखें इन बातों का विशेष ध्यान
14 जुलाई, शनिवार से आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र शुरू हो रहे हैं, ये रविवार, 21 जुलाई तक चलेंगे। इस बार देवी पूजा का ये पर्व 8 दिनों का रहेगा। इन दिनों में मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्र में की गई पूजा से सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। माता को मनाने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सबसे अच्छा उपाय है। ज्योतिषाचार्य पंडित रवि कांत शास्त्री जी के अनुसार दुर्गा सप्तशती में अलग-अलग इच्छाओं के लिए अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं। जानिए कुछ खास मंत्र और जाप की सरल विधि...न किस भगवान को कौन-सी वस्तु चढ़ाने का महत्व होता है...
1. नवरात्र के दिनों में सुबह-शाम स्नान के बाद घर में किसी पवित्र स्थान पर लाल वस्त्र पर देवी लक्ष्मी या दुर्गा माता की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
2. प्रतिमा पर कुमकुम, चावल, लाल फूल अर्पित करें।
3. गाय के घी से बने पकवानों का भोग लगाएं।
4. धूप व दीप जलाएं। इसके बाद मंत्रों का जाप करें। मंत्र जप कम से कम 108 बार जरूर करें। अगर आप चाहें तो मंत्रों का जाप किसी मंदिर में भी कर सकते हैं।
5. भाग्य बाधा दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप करें
देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि में परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि।।
6. दरिद्रता दूर करने के लिए मंत्र
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्रयःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्दचित्ता।।
7. सभी सुख पाने के लिए मंत्र
ऊँ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
8. शारीरिक और मानसिक रूप से शक्ति पाने के लिए मंत्र
सृष्टिस्थितिविनाशानं शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोस्तुते।।
9. धन और संतान सुख पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें
सर्व बाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः।।
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काफी लोग पूजा-पाठ नियमित रूप से करते हैं, लेकिन अपने कुल देवता और कुल देवी का ध्यान नहीं करते हैं, इस कारण पूजा का फल नहीं मिल पाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित रवि कांत शास्त्री जी के अनुसार अगर कुल के देवी-देवता की पूजा नहीं की जाएगी तो कोई भी उपाय सफल नहीं हो सकता है। यहां जानिए पूजा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए...
1. किसी भी प्रकार की पूजा में कुल देवता, कुल देवी, घर के वास्तु देवता, स्थान देवता आदि का ध्यान करना आवश्यक है। इनकी पूजा के बिना मनोकामनाएं पूरी नहीं हो पाती हैं।
2.घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए।
3. पूजा में ऐसे चावल का उपयोग करना चाहिए जो खंडित या टूटे हुए ना हो। चावल चढ़ाने से पहले इन्हें हल्दी से पीला कर लेना चाहिए। पानी में हल्दी घोलकर उसमें चावल को डूबो कर पीला किया जा सकता है।
4. पूजन में पान का पत्ता भी अर्पित किया जाता है। ध्यान रखें कि केवल पान का पत्ता अर्पित ना करें, इसके साथ इलाइची, लौंग, गुलकंद आदि भी चढ़ाना चाहिए। पूरा बना हुआ पान चढ़ाएंगे तो बहुत अच्छा रहता है।
5. चदेवी-देवताओं के सामने घी और तेल, दोनों के ही दीपक जलाने चाहिए। यदि आप प्रतिदिन घी का दीपक घर में जलाएंगे तो घर के कई वास्तु दोष दूर हो जाएंगे।
6. पूजन में हम जिस आसन पर बैठते हैं, उसे पैरों से इधर-उधर खिसकाना नहीं चाहिए। आसन को हाथों से ही खिसकाना चाहिए।
7. किसी भी भगवान के पूजन में उनका आवाहन करना, ध्यान करना, आसन देना, स्नान करवाना, धूप-दीप जलाना, अक्षत, कुमकुम, चंदन, पुष्प, प्रसाद आदि अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
8. देवी-देवताओं को हार-फूल, पत्तियां आदि अर्पित करने से पहले एक बार साफ पानी से जरूर धो लेना चाहिए।
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